औद्योगिक विकास का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान स्थिति

 

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय (1947) राज्य में केवल 11 वृहद् एवं मध्यम स्तर के उद्योग थे, जिनमें 7 सूती वस्त्र मिलें, 2 चीनी कारखाने और 2 सीमेंट कारखाने शामिल थे।

  • औद्योगिक विकास हेतु संस्थागत ढाँचा:

    • उद्योग विभाग: 1949 में स्थापित।

    • जिला उद्योग केंद्र: 1978 में स्थापित, जो औद्योगिक विकास को जमीनी स्तर पर बढ़ावा देते हैं।

 

पंचवर्षीय योजनाओं के तहत औद्योगिक विकास

 

  • प्रथम (1951-56): औद्योगिक कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान नहीं।

  • द्वितीय (1956-61): भरतपुर में वैगन फैक्ट्री जैसी बड़ी इकाइयाँ शुरू हुईं।

  • तृतीय (1961-66): भाखड़ा और चंबल परियोजना से विद्युत सुविधा मिली, जिससे कई सूती कपड़े की मिलें स्थापित हुईं।

  • सातवीं (1985-90): मैसर्स अरावली फर्टिलाइजर्स लिमिटेड का गैस आधारित खाद संयंत्र गड़ेपान (कोटा) में स्थापित हुआ। जैम स्टोन इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना जयपुर में हुई।

  • आठवीं (1992-97): कोटा, जयपुर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर जैसे प्रमुख औद्योगिक केंद्र उभरे। यह वह अवधि थी जब औद्योगिक विकास पर सर्वाधिक व्यय (कुल परियोजना व्यय का 5.3%) किया गया।

  • नवीनतम योजनाएँ (2025 तक): अब फोकस सतत विकास, नवीकरणीय ऊर्जा आधारित उद्योगों, उच्च तकनीक वाले उद्योगों और निर्यात-उन्मुख इकाइयों पर है।

 

औद्योगिक इकाइयों का वितरण

 

  • सर्वाधिक वृहद् एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयाँ वाले जिले: अलवर और जयपुर।

  • सर्वाधिक औद्योगिक जिले (उद्योग केंद्रित): जयपुर और पाली।

  • कम औद्योगिक जिले: बारां, झालावाड़, जालोर (प्रत्येक में 3 बड़े उद्योग), जैसलमेर (4), चूरू (9), धौलपुर (9)।


 

राजस्थान के प्रमुख उद्योग

 

 

1. सूती वस्त्र उद्योग

 

यह राज्य का सबसे प्राचीन और संगठित उद्योग है।

  • पहली सूती वस्त्र मिल: कृष्णा मिल्स लिमिटेड, स्थापना 1889 ई. में सेठ दामोदर राठी द्वारा ब्यावर में।

  • सर्वाधिक मिलें: भीलवाड़ा जिले में, जिसे ‘राजस्थान का मैनचेस्टर’ या वस्त्र नगरी कहा जाता है।

  • सार्वजनिक क्षेत्र की मिलें: ब्यावर (अजमेर) और विजयनगर।

  • सहकारी क्षेत्र की मिलें: गुलाबपुरा (भीलवाड़ा), गंगापुर (भीलवाड़ा), तथा हनुमानगढ़।

  • स्पिनफैड (राजस्थान राज्य सहकारी स्पिनिंग व जिनिंग मिल्स संघ लिमिटेड): स्थापना 1 अप्रैल, 1993 को, यह सहकारी क्षेत्र की सूती मिलों का संघ है।

  • वर्तमान रुझान (2025 तक): तकनीकी अपग्रेडेशन, सतत उत्पादन, और फैशन के बदलते रुझानों के अनुरूप वस्त्रों के उत्पादन पर जोर। भीलवाड़ा को “कपड़ा निर्यातक शहर” का दर्जा प्राप्त है।

 

2. चीनी उद्योग

 

देश का दूसरा सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग है, किंतु राजस्थान में उत्पादन कम है।

  • गन्ना उत्पादन: प्रथम स्थान पर गंगानगर जिला, द्वितीय पर बूँदी।

  • प्रमुख इकाइयाँ (निजी, सार्वजनिक, सहकारी):

    • दि मेवाड़ शुगर मिल्स लिमिटेड, भोपाल सागर (चित्तौड़गढ़, 1932): निजी क्षेत्र में, राज्य की सबसे पुरानी चीनी मिल।

    • दि गंगानगर शुगर मिल्स लिमिटेड, श्री गंगानगर (1956): सार्वजनिक क्षेत्र में। यहाँ गन्ना और चुकंदर दोनों से चीनी बनाई जाती है। शराब और स्पिरिट बनाने का कारखाना तथा धौलपुर की ग्लास फैक्ट्री भी इसके अधीन हैं।

    • श्री केशोरायपाटन सहकारी शुगर मिल्स लि., केशोरायपाटन (बूंदी, 1965): सहकारी क्षेत्र में।

 

3. ऊनी वस्त्र उद्योग

 

राज्य में देश के कुल ऊन का लगभग 40 प्रतिशत उत्पादन होता है।

  • प्रमुख इकाइयाँ:

    • स्टेट वूलन मिल- बीकानेर

    • वर्स्टेड स्पिनिंग मिल्स- चूरू तथा लाडनूँ (नागौर)

    • जोधपुर ऊन फैक्ट्री- जोधपुर

  • एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी: बीकानेर में।

 

4. कागज उद्योग

 

  • पहला कारखाना: सांगानेर (जयपुर) में महाराजा मानसिंह प्रथम द्वारा लगाया गया था।

  • हाथ से कागज निर्माण: घोसुंडा (चित्तौड़गढ़) तथा सांगानेर (जयपुर)।

  • ‘कुमारप्पा राष्ट्रीय हस्तनिर्मित कागज विकास संस्थान’: सांगानेर, जयपुर में स्थित है।

 

5. काँच उद्योग

 

  • कच्चा माल: जयपुर, बीकानेर, बूँदी तथा धौलपुर में उत्तम श्रेणी के काँच, बालू के पत्थर।

  • केंद्र: मुख्यतः धौलपुर में केंद्रित। नया कारखाना कहरानी (अलवर) में लगाया जा रहा है।

  • प्रमुख इकाइयाँ:

    • दी हाई टेक प्रिसिजन ग्लास वर्क्स, धौलपुर।

    • धौलपुर ग्लास वर्क्स, धौलपुर।

    • सैम्कोर ग्लासेज लि., नया नोहरा, कोटा (टी.वी. ग्लास का उत्पादन)।

    • सेंट गोबेन फ्रांसीसी कंपनी का कारखाना, कहरानी, भिवाड़ी।

  • एशिया का सबसे बड़ा फ्लोट ग्लास संयंत्र: भिवाड़ी (अलवर) में।

 

6. सीमेंट उद्योग

 

सीमेंट उत्पादन में राजस्थान का देश में अग्रणी स्थान है।

  • पहला सीमेंट संयंत्र: 1915 ई. में लाखेरी (बूंदी) में क्लीक निकसन कंपनी द्वारा स्थापित, उत्पादन 1917 में शुरू हुआ।

  • सर्वाधिक उत्पादन: जे.के. सीमेंट (निम्बाहेड़ा)

  • सफेद सीमेंट: गोटन (नागौर) तथा जोधपुर के खारिया खंगार में उत्पादन।

  • नवीनतम: चित्तौड़गढ़ के भांवलिया में फ्रांसीसी कंपनी लाफार्जे ने नया सीमेंट कारखाना शुरू किया।

  • सर्वाधिक उत्पादन वाला जिला: चित्तौड़गढ़

  • कच्चा माल: जिप्सम व लाइम स्टोन।

 

7. अन्य प्रमुख उद्योग

 

  • उर्वरक:

    • यूरिया: कोटा (चंबल फर्टिलाइजर, गढ़ेपान), श्रीराम (कोटा), नेशनल केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स लि., कपासन (चित्तौड़गढ़)। उत्तर भारत का प्रथम DAP कारखाना कपासन (चित्तौड़गढ़) में है।

    • सिंगल सुपर फास्फेट: उदयपुर, श्रीगंगानगर, कोटा।

    • डी.ए.पी.: कपासन (चित्तौड़गढ़)।

  • रसायन उद्योग: सल्फ्यूरिक एसिड, कास्टिक सोडा, पी.वी.सी., कीटनाशक, गैसे, सोडियम सल्फेट (राजस्थान स्टेट केमिकल्स वर्क्स, डीडवाना), सोडियम सल्फाइड।

  • नमक: सार्वजनिक क्षेत्र के कारखाने – साँभर, डीडवाना, पचपदरा।

  • संगमरमर: राजसमंद (सर्वाधिक इकाइयाँ)। मार्बल मंडी किशनगढ़, अजमेर में है।

  • ग्रेनाइट: जालोर (सर्वाधिक), सिरोही। जोधपुर में इटली की बहुराष्ट्रीय कंपनी पैडिनी ग्रेनाइट्स का संयंत्र है।

  • वनस्पति घी: प्रथम कारखाना भीलवाड़ा (1964) में स्थापित। राज्य में 9 कारखाने हैं।

  • जिंक स्मेल्टर: देवारी (उदयपुर), चंदेरिया (चित्तौड़गढ़), कपासन (चित्तौड़गढ़)।

  • विस्फोटक: राजस्थान एक्सप्लोसिव (धौलपुर), मोदी एल्केलाइज (अलवर)।

  • एल्कोहल: श्रीगंगानगर, उदयपुर, कोटा।

  • कृत्रिम रेशा: अलवर, कोटा, उदयपुर।


 

विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट औद्योगिक पार्क (RIICO द्वारा विकसित)

 

  • प्रथम EPIP (निर्यात संवर्धन औद्योगिक पार्क): सीतापुरा, जयपुर (1997)। यहाँ एक अर्थस्टेशन व सॉफ्टवेयर कॉम्प्लेक्स भी है। द्वितीय बोरानाडा (जोधपुर) व तृतीय नीमराना (अलवर) में स्थापित।

  • सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क: कनकपुरा, जयपुर।

  • हार्डवेयर टेक्नोलॉजी पार्क: कूकस, जयपुर।

  • जेम्स एंड गोल्ड ज्वैलरी कॉम्प्लेक्स: EPIP सीतापुरा, जयपुर। देश का पहला जैम बुर्स जयपुर में प्रस्तावित है।

  • लैदर कॉम्प्लेक्स: मानपुरा माचेड़ी (जयपुर)।

  • एपैरल पार्क: महल (जगतपुरा-जयपुर), वस्त्र निर्यात को प्रोत्साहन देता है।

  • बायो टेक्नोलॉजी पार्क: सीतापुरा (जयपुर), बोरानाडा (जोधपुर), चौपंकी (भिवाड़ी, अलवर)।

  • होजरी कॉम्प्लेक्स: भिवाड़ी, अलवर।

  • फ्लोरीकल्चर कॉम्प्लेक्स: खुशखेड़ा (अलवर)।

  • ऑटो एंसिलरी कॉम्प्लेक्स: घाटेल (भिवाड़ी-अलवर)।

  • टेक्सटाइल सिटी: भीलवाड़ा।

  • वूल कॉम्प्लेक्स: गोहना (ब्यावर), बीकानेर, नरबदखेड़ा (ब्यावर)।

  • एग्रो इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स: इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र (बीकानेर, जैसलमेर), कोटा, अलवर, जोधपुर, श्रीगंगानगर।

  • सिरेमिक कॉम्प्लेक्स: खारा, बीकानेर।

  • स्टोन पार्क: मंडोर (जोधपुर), मंडाना (कोटा), सिकंदरा (दौसा), विश्नोदा (धौलपुर)।

  • साइबर पार्क: जोधपुर।

  • जापानी पार्क:

    • पहला जापानी पार्क: नीमराना (अलवर) में जेट्रो के सहयोग से। यहाँ निसीन, मित्सुई, डाइकिन, मित्सुबिशी जैसी कई जापानी कंपनियाँ स्थापित हुई हैं।

    • दूसरा जापानी पार्क: घीलोठ (अलवर) में विकसित किया जा रहा है।

    • जापानी कंपनी होंडा मोटरसाइकिल एवं स्कूटर्स इंडिया का कारखाना खुशखेड़ा, अलवर में है।

  • कोरियन निवेश क्षेत्र: रीको और कोरिया ट्रेड इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एजेंसी (कोट्रा) के सहयोग से घीलोठ औद्योगिक क्षेत्र, अलवर में स्थापित।

  • सिरेमिक एवं काँच हब: घीलोठ (अलवर)। रीको द्वारा अजमेर जिले के सथाना में भी सिरेमिक एवं ग्लास हेतु विशेष औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किया गया है।

  • इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क: सिलोरा (किशनगढ़, अजमेर), हस्तेड़ा (चौमू, जयपुर), गुंडोज (पाली)।

  • ग्रीनटेक मेगा फूड पार्क: रूपनगढ़ (अजमेर) में, जो राज्य का पहला और देश का 13वां मेगा फूड पार्क है। 30 मार्च, 2018 को इसका उद्घाटन हुआ।

  • पावरलूम मेगा क्लस्टर: भीलवाड़ा में।

  • जुट पार्क: श्रीनगर (अजमेर) में।

  • पहला इंडियन मेडिकल डिवाइस पार्क: कोलिला जोगा (नीमराणा, अलवर) में प्रस्तावित है, जो चिकित्सा उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा देगा।


 

ग्रामीण और लघु उद्योग विकास

 

 

ग्रामीण गैर कृषि विकास अभिकरण (RUDA)

 

  • स्थापना: नवंबर, 1995 में, ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि आजीविका के साधनों (हस्तशिल्प, लघु उद्यम) का विकास करने हेतु।

  • कार्य: ग्रामीण दस्तकारों को संगठित व प्रशिक्षित करना, हस्तशिल्प का तकनीकी उत्थान, उत्पादों का विकास, विपणन व्यवस्था सुनिश्चित करना, बैंक ऋण व अन्य लाभप्रद व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करना।

 

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयाँ (MSME)

 

  • राज्य की अर्थव्यवस्था, उत्पादन, निर्यात और रोजगार में MSME की महत्वपूर्ण भूमिका है।

  • उद्योग आधार ज्ञापन अधिसूचना अधिनियम, 2015 राजस्थान में लागू है, और ऑनलाइन पंजीयन 18 सितंबर, 2015 से आरंभ किया गया है।

  • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP): शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामोद्योग, सेवा एवं व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर प्रदान करना।

  • भामाशाह रोजगार सृजन योजना: 13 दिसंबर, 2015 से शुरू की गई। शिक्षित बेरोजगार युवाओं, महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति और दिव्यांगों को स्वयं का उद्यम प्रारंभ करने हेतु 6 से 7 प्रतिशत ब्याज दर पर बैंकों से ऋण उपलब्ध कराना।


 

औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने हेतु सरकारी प्रयास (2025 तक)

 

  • रिसर्जेंट राजस्थान सम्मेलन (Resurgent Rajasthan Summit-2015): 19-20 नवंबर, 2015 को जयपुर में आयोजित, जिसने ₹14 लाख करोड़ के 311 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर कराए। इसका उद्देश्य निजी निवेशकों को आकर्षित करना, रोजगार सृजित करना और राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देना था।

    • MSME Policy-2015: इसी सम्मेलन में 20 नवंबर, 2015 को लॉन्च की गई।

  • ई-गवर्नेंस व आईटी नीति, 2015: 5 नवंबर, 2015 को जारी।

  • राजस्थान स्टार्टअप उत्सव और स्टार्टअप पॉलिसी (9 अक्टूबर, 2015): युवा उद्यमियों को लीक से हटकर नए बिजनेस प्लान के लिए सहायता प्रदान करना। राजस्थान ऐसी पॉलिसी जारी करने वाला देश का पाँचवाँ और उत्तर भारत का पहला राज्य है।

  • स्किल डेवलपमेंट सेंटर: रीको द्वारा भिवाड़ी में स्थापित।

  • राजस्थान जैव प्रौद्योगिकी नीति, 2015: जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निवेश व रोजगार सृजन के लिए जारी।

  • मेक इन इंडिया अभियान: 25 सितंबर, 2014 को शुरू। राजस्थान में ‘मेक इन राजस्थान’ का नारा भी दिया गया है।

  • राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना (RIPS) 2019: 8 अक्टूबर, 2014 को शुरू हुई RIPS 2014 को अद्यतन कर RIPS 2019 लाई गई है, जो निवेशकों को अधिक प्रोत्साहन और सुविधाएँ प्रदान करती है। 2025 तक, RIPS 2022/2023 के तहत निवेशक और अधिक रियायतों और एकल खिड़की प्रणाली का लाभ उठा रहे हैं।

  • ई-बिज परियोजना: भारत सरकार की औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग द्वारा शुरू की गई, राजस्थान एक पायलट राज्य है। उद्देश्य निवेश की विभिन्न मंजूरियों को सरल और विलंब रहित बनाना।

  • श्रम: 5 जुलाई, 2016 से न्यूनतम मजदूरी की दरों में संशोधन किया गया। 2025 तक, मजदूरी दरों को नियमित रूप से संशोधित किया जा रहा है और श्रमिकों के कल्याण पर ध्यान दिया जा रहा है।


 

औद्योगिक विकास में सहायक प्रमुख निगम और संस्थान

 

  • राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं विनियोजन निगम लिमिटेड (RIICO):

    • स्थापना: जनवरी 1980।

    • कार्य: राज्य के औद्योगिक विकास को गति देना, वित्तीय सहायता प्रदान करना, औद्योगिक व्यापार एवं विनियोजन संवर्धन, मर्चेंट बैंकर के रूप में कार्य करना, तकनीकी व प्रबंधकीय सेवाएँ।

    • विशेष आर्थिक जोन (SEZ): महिंद्रा ग्रुप, रीको के साथ मिलकर जयपुर में विशेष आर्थिक जोन स्थापित कर रहा है। इसमें आईटी, इंजीनियरिंग, हस्तशिल्प SEZ पहले से हैं। जेम्स एंड ज्वेलरी SEZ और आईटी (द्वितीय चरण) SEZ भी भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किए गए हैं।

  • राजस्थान लघु उद्योग निगम लिमिटेड (RAJSICO):

    • स्थापना: जून 1961।

    • कार्य: राज्य की लघु औद्योगिक इकाइयों और हस्तशिल्पियों को सहायता, प्रोत्साहन और विपणन सुविधाएँ प्रदान करना।

    • शुष्क बंदरगाह (Inland Container Depot): जयपुर, जोधपुर, भीलवाड़ा और भिवाड़ी में निर्यात की बुनियादी सेवाएँ उपलब्ध कराता है।

    • राजस्थली एम्पोरियम और गलीचा प्रशिक्षण केंद्रों का संचालन।

  • राजस्थान वित्त निगम (RFC):

    • स्थापना: 1955।

    • उद्देश्य: नवीन उद्योगों की स्थापना, विस्तार और नवीनीकरण हेतु ₹20 करोड़ तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।

    • योजनाएँ: फ्लेक्सी ऋण योजना, टॉप-अप ऋण योजना, महिला उद्यमनिधि योजना, सेमफेक्स योजना, शिल्पबाड़ी योजना, “सिल्वर कार्ड”, “गोल्ड कार्ड”, “प्लेटिनम कार्ड” जैसी योजनाएँ संचालित करता है।

    • युवा उद्यमिता प्रोत्साहन योजना (YUPY): युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए 45 वर्ष की आयु तक के आईटी, डिप्लोमा, स्नातक योग्यताधारी उद्यमियों को ₹5 करोड़ तक का ऋण आसान शर्तों पर प्रदान करता है।

  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक: राज्य में औद्योगिक प्रगति का मुख्य सूचक है, जो मासिक आधार पर संकलित किया जाता है (वर्तमान आधार वर्ष 2011-12)।

  • राजस्थान खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड: अप्रैल 1955 को स्थापित, ग्रामीण क्षेत्रों में खादी व ग्रामोद्योग के माध्यम से स्वरोजगार उपलब्ध कराता है।

  • राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड (RSMML): राज्य का सार्वजनिक क्षेत्र का प्रमुख उपक्रम, जो खनिजों के अन्वेषण, दोहन और विपणन में कार्यरत है।

  • पेट्रोलियम निदेशालय: राज्य में तेल एवं प्राकृतिक गैस के दोहन तथा विकास के लिए स्थापित। राजस्थान भारत के प्रमुख तेल और गैस उत्पादक राज्यों में से एक बन गया है, जिसमें मंगला, भाग्यम, ऐश्वर्या जैसे तेल क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं। बाड़मेर रिफाइनरी (पचपदरा) का कार्य प्रगति पर है, जिससे राज्य में पेट्रोकेमिकल उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।



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