अरब आक्रमणः
पैगंबर हजरत मुहम्मद की 8 जून, 632 ई. को मदीना (सउदी अरब) में मृत्यु के बाद भारत पर अरबी आक्रमणों का सिलसिला प्रारंभ हुआ। खलीफा उमर के शासनकाल में 636 ई. में भारतीय प्रदेशों को लूटने के लिए मुम्बई के थाना नामक स्थान पर अरबों ने आक्रमण किया किंतु उन्हें सफलता नहीं मिली। 642-50 ई. के दौरान अरबों ने मध्य एशिया को जीत लिया। 643 ई. में अरब सैनिक भारत की सीमा तक पहुँच गए। अरबों के द्वितीय अभियान के तहत् मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में सिंध पर आक्रमण किया गया, जिसमें कासिम की विजय हुई। मुहम्मद बिन कासिम की असामयिक मृत्यु से अरब सैनिकों की साम्राज्य विस्तार की भावना का अंत हो गया। फलतः अरब आक्रमणकारी सिंध से आगे न बढ़ सके।
तुर्की आक्रमणः तुर्की के उत्कर्ष ने अरब साम्राज्य को पूर्णतः अपने अधिकार में लिया तथा खलीफाओं के प्रभुत्व का भी अंत होने लगा, जिससे 871 में सिंघ के सूबेदार खलीफा के नियंत्रण से स्वतंत्र हो गए। कुछ वर्षों के बाद भारत में तुर्कों का प्रवेश हुआ। सामानी राज्य के प्रान्तीय शासकों में अलप्तगीन नामक तुर्क गुलाम ने 932 ई. में गजनी वंश की स्थापना की। 977 ई. में अलप्तगीन का दामाद सुबुक्तगीन गजनी के सिंहासन पर बैठा। उसने 986 ई. में पंजाब के शासक जयपाल को पराजित किया।
महमूद गजनवीः 997 ई. में सुबुक्तगीन की मृत्यु के पश्चात् उसके पुत्र इस्माइल और महमूद गजनवी क्रमशः गजनवी के शासक बने। महमूद गजनवी अधिक योग्य व महत्वाकांक्षी शासक था।
महमूद का जन्म 1 नवम्बर, 971 ई. को हुआ एवं वह 998 ई. में शासक बना। उसने 1000-27 ई. के मध्य भारत पर 17 बार आक्रमण किए। महमूद ने 1025 ई. में सोमनाथ के मन्दिर को लूटा। महमूद के साथ ‘तहकीक-ए-हिन्द’ के लेखक अलबरूनी तथा इतिहासकार अरबी तथा बैहाकी भी भारत आए थे। शाहनामा का लेखक फिरदौसी उसका दरबारी कवि था। महमूद के आक्रमण का मूल उद्देश्य ‘धन प्राप्ति’ था। 1030 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
मुहम्मद गौरीः शिहाब-उद्-दीन जिसे मुइज-उद्-दीन मोहम्मद बिन साम भी कहा जाता था, मुहम्मद गौरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 1173 ई. में गोर के सुल्तान गयासुद्दीन ने अपने अनुज शिहाबुद्दीन मुहम्मद गौरी को गजनी का सूबेदार नियुक्त किया। मुहम्मद गौरी ने 1178 ई. में गुजरात की राजधानी अन्हिलवाड़ा पर आक्रमण किया, किन्तु इस युद्ध में मूलराज द्वितीय ने उसे परास्त किया। 1191 ई. में तराइन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने उसे हराया, किन्तु 1192 ई. में उसने पृथ्वीराज को पराजित किया व भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना की। 1194 ई. में चन्दावर के युद्ध में उसने कन्नौज के गहड़वाल शासक जयचन्द को पराजित किया। मुहम्मद गौरी की 1206 ई. में हत्या हो गई। अतः उसके पश्चात् उसके द्वारा विजित भारतीय प्रदेशों का शासक कुतुबुद्दीन ऐबक बना, जो पहले उसका दास सेनापति था।
महत्त्वपूर्ण तथ्यः गजनी के शासक पिरीतगीन (974-77 ई.) के समय भारत पर प्रथम तुर्क आक्रमण हुआ।