समास

समास सम् + आस

 

  • दो शब्दों का परस्पर मेल, समास कहलाता है, अर्थात जब दो शब्द परस्पर मिलते हैं, उनके बीच प्रयुक्त कारक चिह्न / अन्य पदों का लोप हो जाता है तथा दोनों से मिलकर जो रूप बनता है, उसे समास कहते हैं।
  • रेलगाड़ी – रेल (पटरी) पर चलने वाली गाड़ी लुप्त पद
  • तत्पुरुष
  • रेलयात्रा – रेल से यात्रा – करण तत्पुरुष
  • रेलभाड़ा – रेल के लिए भाड़ा सम्प्रदान तत्पुरुष
  • मृगनयनी – मृग के नयनों के समान नयनों वाली – कर्मधारय
  • समास के भेद – ‘छह भेद’

  • (1) अव्ययी भाव समास
  • (2) द्विगु समास
  • (3) कर्मधारय समास
  • (4) तत्पुरुष समास
  • (5) द्वन्द्व समास
  • (6) बहुव्रीहि समास

 

पद की प्रधानता के आधार पर समास के भेद = चार भेद

1. पहला पद प्रधान → अव्ययीभाव समास


2. दूसरा पद प्रधान → तत्पुरुष (कर्मधारय, द्विगु)


3. दोनों पद प्रधान → द्वंद्व समास


4. अन्य पद प्रधान → बहुव्रीहि समास

 


(1) अव्ययीभाव समास की विशेषताएँ–

(i) पहला पद प्रधान
(ii) पहला पद अव्यय
(iii) उपसर्ग युक्त पद
(iv) पुनरुक्त शब्द

अव्ययीभाव समास – सारणी

समास समास – विग्रह

यथाशक्ति → शक्ति के अनुसार
यथेच्छा → इच्छा के अनुसार
यथानुसार → जैसा है उसी के अनुसार
यथास्थिति → स्थिति के अनुसार
यथाशम्भव → जितना / जैसा संभव हो सके
प्रतिदिन → हर / प्रत्येक दिन
प्रतिवर्ष → हर / प्रत्येक वर्ष
अवसरानुसार → अवसर के अनुसार
कथनानुसार → कथन के अनुसार
दानार्थ → दान के लिए
सेवार्थ → सेवा के लिए
कुशलतापूर्वक → कुशलता के साथ
प्रयत्नपूर्वक → प्रयत्न के साथ
जीवनपर्यन्त → जीवन रहने तक
सेवापर्यन्त → सेवा के उपरान्त
आ मरण → मरने तक
आ भरण → भरने तक
आ कण्ठ → कण्ठ तक
आपादमस्तक → सिर से लेकर पैरों तक
आजानुबाहु → घुटनों से भुजाओं तक
अत्यावश्यक → आवश्यकता से अधिक
अतीन्द्रिय → इन्द्रियों से परे
निर्विवाद → विवाद से रहित
निर्विकार → विकार से रहित
निरामिष → आमिष (माँस) से रहित
नीरस → रस से रहित

द्विगु समास – “दूसरा पद प्रधान”

समास समास – विग्रह

एकांकी → एक अंक (दृश्य) का नाटक
द्विपट्टा → दो पटों का समूह
दुर्नाली → दो नाल वाली
दुर्धारी → दो धार वाली
द्विगु → दो गायों का समूह
दुर्मुख → दो मुँह वाला
द्विवेदी → दो वेदों का ज्ञाता
त्रिवेदी → तीन वेदों का ज्ञाता
तिपाई → तीन पायों का समूह
तिमाही → तीन माहों का समाहार
तिरंगा → तीन रंगों का समाहार
त्रिफला → तीन फलों का मिश्रण
त्रिभुवन → तीन भुवनों का समाहार
चतुर्वेदी → चार वेदों का ज्ञाता
चौराहा → चार राहों का समाहार
त्रिवेणी → तीन वेणियों (नदियों) का समाहार
चवन्नी → चार आनाओं का समूह
चतुर्भुज → चार भुजाओं का समूह
पंचवटी → पाँच वट वृक्षों का समूह

 

 


कर्मधारय समास – “दूसरा पद प्रधान”

समास समास – विग्रह

नीलगगन → नील है जो गगन
नील → विशेषण
गगन → विशेष्य
चंद्रमुखी → चंद्रमा के समान सुंदर मुख वाली
मृगनयनी → मृग के नयनों के समान नयनों वाली
श्वेतवस्त्र → श्वेत (सफेद) है जो वस्त्र
नीलांबुज → नीला है जो अम्बुज (कमल)
चरणकमल → कमल रूपी चरण
नीलोत्पल → नीला है जो उत्पल (कमल)
विधाधन → विद्या रूपी धन
महावीर → महान है जो वीर
महापुरुष → महान है जो पुरुष
सুশासन → सु (अच्छा) है जो शासन
सुमति → अच्छी है जिसकी मति
कुकर्म → कुशीत (बुरा) हो कर्म
कुताल → कुशीत है जो चाल
श्वेतधवल → श्वेत है जो धवल
वीरबाल → वीर है जो बालक
अयशस्क → आय है जो पक्का
देवर्षि → देव है जो ऋषि है
राजर्षि → राज है जो ऋषि है
कायपुरुष → कायार है जो पुरुष
मानुषपुरुष → मानव है जो पुरुष
पाषाणहृदय → पाषाण (पत्थर) के समान हृदय

 

(4) तत्पुरुष समास – दूसरा पद प्रधान

तत्पुरुष समास में दूसरा पद प्रधान होता है। इसके कई प्रकार बताए जाते हैं –

(i) नञ् तत्पुरुष समास
(ii) लुप्तपद तत्पुरुष समास
(iii) लुप्तकारक तत्पुरुष समास
(iv) उपपद तत्पुरुष समास
(v) अन्य तत्पुरुष समास


(i) नञ् तत्पुरुष समास

इस समास में अ, अन्, अम्, अन, ना (अन्य) उपसर्ग का प्रयोग होता है।

इस समास का अर्थ “नहीं होना” या “नकार” होता है।

उदाहरण: असत्य = सत्य नहीं।


सारणी

समास समास – विग्रह

असत्य → सत्य नहीं
अज्ञान → ज्ञान नहीं
अकारण → कारण नहीं
अव्यय → व्यय नहीं
अभाव → भाव नहीं
अयोग्य → योग्य नहीं
आहूत → आहूत (बुलाया) नहीं
अनावश्यक → आवश्यक नहीं
अनावरण → आवरण नहीं
अनेदेखा → देखा नहीं
अनचाहा → चाहा नहीं
अनमोल → मोल नहीं
अनभिज्ञ → अभिज्ञ (जानकार) नहीं
अनपढ़ → पढ़ा-लिखा नहीं
अनधिकारी → अधिकार नहीं
अनुपयोगी → उपयोगी नहीं
अनहोनी → होनी नहीं
अनमेल → मेल नहीं
नालायक → लायक नहीं
नाजायज → जायज नहीं
नापसंद → पसंद नहीं
नापाक → पाक नहीं

 

(ii) लुप्तपद तत्पुरुष समास

इस समास में दोनों पदों के बीच प्रयुक्त शब्दों का लोप (हट जाना) हो जाता है।

इसलिए इसे लुप्तपद तत्पुरुष समास कहते हैं।


सारणी

समास समास – विग्रह

मधुमक्खी → मधु एकत्र करने वाली मक्खी
रेलगाड़ी → रेल (पटरी) पर चलने वाली गाड़ी
बैलगाड़ी → बैल द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी
पर्णशाला → पर्ण (पत्ते) से निर्मित शाला
जलपोत → जल पर चलने वाला पोत

 

 

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo.

Scroll to Top