
📚 हादसा या लापरवाही? — जब झालावाड़ में स्कूल की दीवारें सपनों पर गिर पड़ीं

🔴 क्या हुआ उस सुबह?
25 जुलाई 2025 की सुबह हमेशा की तरह थी। बच्चे तैयार होकर अपने स्कूल पहुँचे, कुछ कक्षा में थे और कुछ प्रार्थना सभा की तैयारी कर रहे थे। लेकिन कोई नहीं जानता था कि यह सुबह कुछ मासूमों के जीवन की आखिरी सुबह बन जाएगी।
पिपलोदी गाँव के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय की एक पुरानी पत्थर की छत अचानक ढह गई। घटना लगभग सुबह 8:15 बजे हुई, जब विद्यालय में लगभग 60 से अधिक बच्चे मौजूद थे। छत गिरने से 7 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई और 29 से अधिक छात्र घायल हो गए, जिनमें से कई की हालत गंभीर थी।
📌 ज़िम्मेदार कौन?
जांच में सामने आया है कि भवन की स्थिति बेहद जर्जर थी और समय पर मरम्मत नहीं करवाई गई। ग्रामीणों ने पूर्व में भी इसकी शिकायत की थी।
📢 प्रशासन की कार्रवाई:
इस दर्दनाक हादसे के बाद प्रशासन हरकत में आया। घटना के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री ने मौके का दौरा किया और घायलों से मिलने अस्पताल पहुँचे।
🔴 5 शिक्षकों को किया गया निलंबित:
लापरवाही के आरोप में विद्यालय के प्रधानाध्यापक सहित कुल 5 शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
📝 क्या सीख मिली?
यह हादसा हमें यह सिखाता है कि सरकारी भवनों की सुरक्षा समय-समय पर सुनिश्चित करना कितना जरूरी है।
झालावाड़: स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत, कई घायल

सरकारी स्कूल की एक पुरानी पत्थर की छत अचानक गिर गई, जब बच्चे सुबह की सभा के लिए तैयार थे। 35-60 छात्र मौजूद थे, खासकर कक्षा 7-8 के। भारी बारिश के कारण छत कमजोर हो चुकी थी। बच्चों ने चेतावनी दी, लेकिन शिक्षकों ने कहा – “कुछ नहीं होगा।”
हादसे में 7 बच्चों की मृत्यु हो गई, जिनमें 5 ने घटनास्थल पर दम तोड़ा और 2 ने अस्पताल में इलाज के दौरान। करीब 28 अन्य घायल हो गए। कई की हालत गंभीर थी। स्थानीय ग्रामीण, परिजन, पुलिस और डॉक्टरों ने तुरंत मोर्चा संभाला और सभी को मनोहरथाना CHC व झालावाड़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने घटनास्थल का दौरा किया और मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की घोषणा की। घटना के लिए जिम्मेदार 5 शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, शिक्षा विभाग व मानवाधिकार आयोग द्वारा जांच शुरू कर दी गई है।

📺 घटना से जुड़ा वीडियो
5 शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। शिक्षा विभाग ने जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए हैं।
👉 अपडेट: प्रशासन ने जिला स्तर पर भवनों की सुरक्षा जांच के आदेश दिए हैं ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों।
शीर्षक सुझाव:
“Jhalawad: जब बारिश ने तोड़ दी एक स्कूल-सपना”
“भोली मासूमियों की चीख़: Jhalawar स्कूल हादसा”
परिचय:
घटना की तारीख, स्थान (Piplodi, Manoharthana ब्लॉक)
संक्षिप्त विवरण: वृद्ध इमारत, बारिश, चेतावनी नजरअंदाज करना।
घटना विवरण:
समय: सुबह 8–8:30 बजे, बच्चे सभा के लिए एकत्रित
मलबा गिरने की चेतावनी मामूली मानी गई
अचानक छत गिरने की आवाज जैसे धमाका
बचाव और प्रतिक्रिया:
स्थानीय, पुलिस, चिकित्सा अधिकारी बचाव में जुटे
बचाव के दृश्य: किताबें, बैग मलबे में फैले, माता‑पिता की चीख़ें
जिम्मेदारी:
निलंबन: 5 शिक्षक
जांच: शिक्षा विभाग, मानवाधिकार आयोग
प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा और इलाज का आश्वासन
नेतृत्व और शिकायत:
पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद ने जिम्मेदार ठहराया
मांग: पूरे राज्य में स्कूलों की जांच, कमजोर भवनों को सील या ध्वस्त करना
निष्कर्ष और सन्देश:
ड्राफ्ट करें: अनुभव से जुड़े भावनात्मक प्रभाव
सुझाव: निरोधात्मक नीतियाँ, नियमित भवन निरीक्षण, बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि
अंत:
संवेदना व्यक्त करने वाला संदेश
भविष्य में सुधार की रेखा: न्याय, रख‑रखाव, जिम्मेदारी।
✏️ कुछ प्रमुख तथ्य सारांश
तथ्य | विवरण |
---|---|
घायलों की संख्या | 28–29 बच्चे, कुछ गंभीर स्थिति में |
स्कूल का प्रकार | Government Higher Primary / Middle School (कक्षा 1–8 तक) |
भवन की स्थिति | लगभग 20 वर्षीय पुरानी, पत्थर पत्थर की छत, न की गई मरम्मत |
चेतावनी संकेत | गिरते मलबे की आवाज, छात्रों की शिकायत |
बारिश का योगदान | लगातार भारी बारिश के चलते कमजोर ढांचे की चूक |
प्रशासनिक कार्यवाही | शिक्षक निलंबन, जांच, अन्य भवनों का निरीक्षण |
निष्कर्ष
यह घटना केवल एक भौतिक हादसा नहीं बल्कि असुरक्षित संरचनाओं, चेतावनी को नजरअंदाज करने और राजनीतिक व प्रशासनिक सुस्ती से जुड़े मुद्दों का परिणाम है।
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