जैव प्रौद्योगिकी

(Bio-Technology)

सामान्य परिचय

विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत जीवों या उनसे प्राप्त पदार्थों का उपयोग करके मनुष्य जाति के लिए लाभदायक वस्तुओं का उत्पादन करना ही जैव प्रौद्योगिकी कहलाती है।

जैव प्रौद्योगिकी का शाब्दिक अर्थ “जैविक प्रक्रियाओं का उपयोग कर उन पदार्थों का उत्पादन करना जिनका उपयोग औषधियों के रूप में तथा उद्योगों में किया जाता है।”

Biotechnology Biology (जीव विज्ञान) + Technology (तकनीकी)

जैव प्रौद्योगिकी का इतिहास (History of Biotechnology): जैव प्रौद्योगिकी लगभग 2500 BC पुरानी प्रक्रिया है। लेकिन आज इसका इतना विकास हो चुका है की मनुष्य की कई समस्याओं का समाधान बहुत अल्प-अवधि में ही किया जाना संभव है।

सन्

प्रमुख खोज

1677

‘ए.वी. ल्यूवनहॉक’ ने सूक्ष्मदर्शी (microscope) की खोज की।

1890

1897

एल्कोहॉल (Alcohol) का मोटर में ईंधन के रूप में पहली बार उपयोग किया गया।

“एडुराड़ बुकनर” ने कोशिका रहित किण्वन के द्वारा शर्करा से Alcohol का निर्माण होना बताया।

1928

अलेक्जेंडर फ्लेमिंग द्वारा पेनिसिलिन की खोज की गई

1944

पेनिसिलिन का वृहत् स्तर पर उत्पादन

1970

“रेस्ट्रिक्शन एन्डोन्यूकलिएज” एंजाइम की खोज

1997

विल्मुट एवं साथियों ने डॉली नामक भेड़ का क्लोन बनाया।

2001

चावल का प्रथम जीनोम मानचित्रण पूरा हुआ।

2004

मानव जीनोम प्रोजेक्ट (Human Genome project) लगभग पूरा हुआ।

 

जैव प्रौद्योगिकी संस्थाएँ (Instituation of Biotechnology):-

1.

भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (BARC, Bhaba Atomic Research Center)- मुम्बई (ट्राम्बे)

2. केन्द्रीय औषध अनुसंधान संस्थान (CDRI, Central Drug Research Institute)- लखनऊ

3. राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (NDRI, National Dairy Research Institute)- करनाल (हरियाणा)

4. लाल बहादुर शास्त्री सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च इन बायोटेक्नोलॉजी (Lal Bahadur Shastri Center for Advance Research in Biotechnology)- नई दिल्ली

5. इण्डियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (IARI)- नई दिल्ली

6. Regional Research Laboratory (RRL)- हैदराबाद

7. भारतीय पशुविज्ञान अनुसंधान संस्थान (IVRI, Indian Veterinary Research Institute)- आइजत नगर (उत्तर प्रदेश)

8. कोशिका एवं अणु जैविकी केन्द्र (CCMB, Center for cell and molecular Biology)-हैदराबाद

9. भारतीय उद्यानिकी अनुसंधान संस्थान (IIHR, Indian Institute of Horticultural Research)-बैंगलोर

10. Osmania University- हैदराबाद

11. राष्ट्रीय प्रतिरक्षा संस्था (NII, National Institute of Immunology)- नई दिल्ली

12. राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान (NBRI, National, Botanical Research Institute)-लखनऊ

13. क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला (RRL, Regional Research Laboratory)- जम्मू

14. भारतीय पादप जीन संपदा ब्यूरो (NBPGR, National, Bureau of Plant Genetic Re-sources)- नई दिल्ली

15. केन्द्रीय खाद्य एवं तकनीकी अनुसंधान संस्थान (CFTRI, Central Food and Technology Research Institute)- मैसूर

16. प्रतिरक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र (ICMR, Immunological Research and Training)-दिल्ली

17. NBRC, National Brain Research Center- मनेसर (हरियाणा)

18. IBSD, Institute of Bio-resources & Sustainable Development- इम्फाल (मणिपुर)

19. NIPGR, National Institute of Plant Genome Research- नई दिल्ली

20. CDFD, Center for DNA Finger-Puinting and Diagnostic- हैदराबाद

21. RGCB, Rajiv Gandhi Center for Biotechnology- तिरूवनन्थपुरम्

22. NCCS, National Center for cell Sciences- पुणे (महाराष्ट्र)

Note: जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने सन् 1986 से 2011 तक (25 वर्ष) को सिल्वर जुबली (Silver Jubilee) मनाया।

जैव प्रौद्योगिकी की युक्तियाँ (Devices of Biotechnology):

1. बायोसेन्सर (Biosensor): प्राक्तिक बायोसेन्सर एक प्रकार के प्राण संवेदी (Smell Sensor) एवं स्वाद ग्राही (Taste Receptor) होते है।

2.

Biosensor तकनीकी का निर्माण 1960 से शुरू हुआ।

ब्रायोसेन्सर जैविक पदार्थों का मिश्रण है जो रासायनिक एवं घ्राण संवेदनाओं को विद्युत संकेतों (Electric Signal’s) में बदल देता है।

Use of Biosensor-

(i) सेना में तत्रिकीय गैसों (Nural Gases) तथा अन्य विषाक्त पदार्थों का पता लगाने

में किया जाता है।

(ii) औषधीय विश्लेषण (Medicinal Analysis) उद्योगों में किया जाता है।

बायोचिप्स (Biochips): इनका निर्माण विभिन्न जैविक पदार्थों के द्वारा होता है, बायोचिप्स

का उपयोग कम्प्यूटर की सिलिकॉन (Si) चिप्स के स्थान पर किया जा सकता है। बायोचिप्स का निर्माण प्रोटीन के ढाँचे में स्थित अर्द्धचालक अणुओं के द्वारा होता है।

बायोचिप्स के आधार पर ऐसा संभावित है कि भविष्य में इनके उपयोग से जैव आण्विक कम्प्यूटर का प्रचलन हो जायेगा।

3. बायोफिल्म (Biofilm): अनेक सूक्ष्मजैविक कोशिकाओं एवं अकार्बनिक घटकों की अत्यधिक मात्रा जो किसी आधार से दृढ़‌तापूर्वक आसंजित रहती है, बायोफिल्म कहलाती है।

Use of Biofilm:

(i) अपशिष्ट जल के उपचार में

(ii) पानी की गुणवता में अचानक आये परिवर्तनों में।

भारत में जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology in India):-

भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य विगत कई वर्षों से चला आ रहा है परन्तु 1975 के आस-पास इस क्षेत्र पर विशेष बल दिया गया।

जैव प्रौद्योगिकी की “आनुवांशिक अभियांत्रिकी” शाखा का मानव कल्याण में अभूतपूर्व योगदान रहा, इन लाभों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने सन् 1982 में एक राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी बोर्ड (National Biotechnology Board- NBTB) की स्थापना की।

संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने एक अंतर्राष्ट्रीय आनुवंशिक इंजीनियरी एवं बायोटेक्नोलॉजी केन्द्र (International Centre for Genetic Engineering and Biotechnology- ICGEB) की स्थापना की।

ICGEB की एक इंस्टीट्यूट ट्रिएस्टे, इटली में तथा दूसरी नई दिल्ली में है।

ICGEB के नई दिल्ली स्थित केन्द्र की स्थापना सन् 1987 में हुई थी।

तथ्य (Fact)

जननद्रव्य (Germplasm) का संरक्षण द्रव नाइट्रोजन में 196° C तापमान पर किया जाता है।

इसे निम्न ताप परिरक्षण (Cryopreservation) कहते है।

“स्यूडोमोनास प्यूटिडा” नामक जीवाणु के द्वारा खनिज तेलों का विघटन किया जाता है। इस जीवाणु को ‘सुपरबग’ कहते है।

आनुवांशिक अभियांत्रिकी की उपलब्धियाँ:

1. कृत्रिम इंसुलिन निर्माण

सर्वप्रथम सन् 1982 में कृत्रिम इंसुलिन का निर्माण किया गया।

यह बाजार में ह्यूमूलिन Humulin)’ के नाम से बिकती है।

इसका उत्पादन ईलिश्चियम कोलाई’ (E. Coli) नामक जीवाणु के द्वारा किया जाता है।

सर्वप्रथम इसका निर्माण अमेरिका की ‘एली लिली’ (Eli Lilly) नामक कम्पनी के द्वारा सन् 1983 में किया गया।

Note:

 

E. Coli की क्लोनिंग के द्वारा ही बौनेपन के इलाज में काम आने वाले “ह्यूमन ग्रोथ हॉमोन” (Human Growth Hormon HGH) का निर्माण किया जाना संभव हो सका

हैं।

बोवाइन सौमेटोट्रोफिन (BST) हॉर्मोन गाय से प्राप्त किया जाता है।

2. सुपर ऑक्साइड डिसम्यूटेज

यह भी एक प्रकार का एन्जाइम है जो कि आनुवांशिक अभियांत्रिकी के द्वारा ही बनाया जाता है।

इस एन्जाइम का उपयोग ‘ऑस्टियोअर्थराइटिस’ (Osteoarthritis) एवं हृदय के रोगों में किया जाता है।

Note:

Osteoarthritis रोग में हड्यिाँ कमजोर हो जाती है।

हिरूडिन (Hirudin) का उपयोग रक्त का थक्का जमने के रोगों में किया जाता है।

3. जीवों के क्लोन बनाने में

4.

डॉली भेड एक आनुवांशिक रूपांतरित जीव है-

प्रथम आनुवांशिक रूपांतरित (Genetical Modifight) बंदर एन्डी (Andi) था। जिसको अमेरिका में सन् 2001 में पैदा किया गया।

DNA छायाचित्र / DNA फिंगर प्रिंटिंग (DNA Finger Prints):

किसी व्यक्ति या विभेद (Strain) के DNA का RFLP पैटर्न बनाना ही DNA अंगुलिमुद्रण/ DNA Finger Printing कहलाता है।

DNA Finger Printing की खोज ‘शैलेक जैफरी’ (Alec Jeffery) ने सन् 1984 में की थी।

भारत में DNA फिंगर प्रिंटिंग तकनीक का प्रारम्भ सन् 1988 से हुआ।

भारत में DNA फिंगर प्रिंटिंग का श्रेय हैदराबाद स्थित कोशिकीय तथा आण्विक जीव विज्ञान प्रयोगशाला के डॉ. लालसिंह एवं उनके साथियों को जाता है।

DNA फिंगर प्रिंटिंग का उपयोग

(1) अपराध प्रयोगशालाओं में अपराधियों की पहचान करने में

(2) जीव विज्ञान के आधार पर संही जनकों का निर्धारण करने में

(3) जीव विज्ञान के क्रमिक विकास में पुनः लेखन हेतु प्रजातीय समूहों की पहचान करने में।

5. मानव जीनोम परियोजना (Human genome Project HGP)

जीन इंजिनियरिंग के आधार पर मानव जाति में आनुवांशिक सुधार के उद्देश्य से शुरू की गई परियोजना को ही HGP (मानव जीनोम परियोजना) कहते है।

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य मानव के सभी 23 जोड़ी गुणसूत्रों को मानचित्रण कर के, इन गुणसूत्रों पर स्थित जीनों की सही स्थिति, क्रम व कार्यों का पता लगाना है।

अमेरिकी सरकार ने मानव जीनोम परियोजना (HGP) के नाम से 1988 में एक महत्वाकांक्षी एवं विशाल शोध परियोजना प्रारम्भ की, इनका लक्ष्य 2013 तक मानव जीनोम की संपूर्ण संरचना का पता लगाना था, जो की प्राप्त किया जा चुका है।

बहुराष्ट्रीय मानव जीनोम परियोजना के अध्यक्ष डॉ. फ्रांसीसी कॉलिन्स है।

Bio-Technology (जैव प्रौद्योगिकी) से संबंधित शब्दावली:-

1. वाहक (Vectors): ऐसे DNA अणु जो किसी उपयुक्त परपोषी (host) कोशिका में स्वतंत्र रूप से अपनी संख्या में वृद्धि कर सकते है, तथा जिनके साथ वांछित DNA खण्ड को

जोड़ा जा सकता है, ऐसे DNA अणु Vector (वाहक) कहलाते है।

2.

उदाहरण : प्लाज्मिड एवं विषाणु (Virus)

Note: pBR322 (प्लाज्मिड, बॉलिवर व रोडरीज प्रयोग संख्या 322) भी एक वाहक है। जिसका आकार 1.5 kb से 1500 kb तक हो सकता है।

कुछ जीवाणुभोजी वाहक जैसे उपयोग करते है। (लेम्डा) एवं (M13 फाजों का भी वाहक के रूप में

जीन लाइब्रेरी (Gene Library): इसे जीन बैंक, DNA लाइब्रेरी या DNA संग्रह भी कहते है। जब DNA खण्डो की बहुत सारी copy’s बना ली जाती है तो इसे ही जीन लाइब्रेरी कहते है।

Copyed या क्लोनित DNA खण्ड जिनमें सम्पूर्ण जीनोम का समावेश होता है जीनोम लाइब्रेरी कहलाती है।

3. पुनर्योगज DNA/Recombinat DNA (r-DNA):

जब वांछित DNA खण्डो को Lygase (लाइगेज) एंजाइम की सहायता से जोड़कर नया DNA खण्ड बनाया जाता है। तो इसे ही पुनर्योगज DNA (r-DNA) कहते है।

पुनर्योगज DNA को काइमेरिक (Chimeric) DNA भी कहते है।

तथ्य (Facts)

1.

2.

DNA – Deoxy Ribose Nuclic acid

नाइट्रोजनी क्षारक- एडिनिन (A), थायमीन (T), ग्वानिन (G), साइटोसिन (C)

RNA Ribose Nuclic acid

नाइट्रोजनी क्षारक एडिनिन (A), यूरेसिल (U), ग्वानिन (G), साइटोसिन (C)

4. बायोइन्फॉर्मेटिक्स (Bioinformatics): जीव विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी के मिलने से बायोइन्फॉर्मेटिक्स यानी जैवसूचना विज्ञान का जन्म हुआ है जो की बहुआयामी विषय है बायोइन्फॉर्मेटिक्स को अस्तित्व में आये केवल एक दशक हुआ है। इसके अन्तर्गत जैव सूचनाओं का अर्जन, भण्डारण, संसाधन, विश्लेषण व व्याख्यान आदि आते है।

आनुवांशिक सूचनाओं के विश्लेषण के लिए विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर तैयार किये गये है।

धान (Golden Rice) का जीनोम इन्टरनेट पर जारी हो चुका है।

तथ्य (Facts):

Bioinformatics शब्द सन् 1970 में Paulien Hogeweg (पेयूलिन होगीवेग) ने दिया।

बायोइन्फॉर्मेटिक्स, प्रोटीन के 3-D मॉडल संरचना पर आधारित है।

DNA का बड़ा खण्ड Junk DNA कहलाता है।

GMO (Genetically Modified Organisum): जब जीवों में कोई वांछित जीन या DNA खण्ड

प्रवेश करवा कर उनमें कोई नया गुण उत्पनन किया जाता है तो ऐसे जीव GMO (आनुवांशिक रूपांतरित जीव) कहलाते है।

इन्हें पराजीनी जीव भी कहते है। तथा प्रवेश करवाये गये जीन को पारजीन (Transgen) कहते है।

जैवप्रौद्योगिकी : सामान्य जानकारी

जैव-तकनिकी

जीनः जीन नाम जॉहान्सन ने दिया, जीन आनुवांशिकता की सबसे छोटी इकाई है।

जीन की इकाईयाँ:- 1. सिस्ट्रॉन कार्य की इकाई।

2. म्यूटॉन- उत्परिवर्तन की इकाई।

3. रेकॉन पुनः संयोजन की इकाई।

DNA लाइगेज एन्जाइमः (जिस नाम के आगे “ऐज “शब्द जुड़ा होगा वह एन्जाइम होगा।) यह एक ऐसा एन्जाइम है, जो डी.एन.ए. खण्डो को जोड़ने का कार्य करता हैं।

DNA हैलिकेज एन्जाइमः यह ऐसा एन्जाइम होता हैं, जो DNA के कुण्डल (Coil) को खोलने का कार्य करता है।

वाटसन व क्रिक ने DNA का “द्वि-कुण्डलित” मॉडल प्रस्तुत किया।

पुनः संयोजी DNA (Recombinate DNA):- डी.एन.ए. के वांछित खण्डों को जोड.कर बनाया

गया नया DNA खण्ड ही पुनः संयोजी DNA कहलाता है।

नोटः- पुनः संयोजी DNA बनाने की प्रक्रिया पुनः संयोजी तकनीक कहलाती है। बनाये गये पुनः संयोजी डी. एन. ए. का उपयोग मानव के लाभ के लिए करना पुनः संयोजी तकनीकी कहलाती है।

प्लाजमिड (Plasmid):- जीवाणुओ में गुणसूत्रीय डीएनए के अलावा उपस्थित वर्तुल डीएनए

ही प्लाजमिड कहलाता हैं।

नोट:-

(i) Puk ऐक प्लाजमिड वाहक हैं।

(ii) जीवाणुओं में कोशिका भित्ति पाई जाती हैं, इसलिए इसे पादप जगत में रखा जाता हैं।

(iii) पादप एवं जन्तु कोशिका में मुख्य अन्तर कोशिका भित्ति का हैं।

पादप कोशिका पादप कोशिका में भित्ति पाई जाती हैं।

जन्तु कोशिका जन्तु कोशिका में कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती हैं।

रेस्ट्रीक्शन एण्डों न्युक्लिएज एन्जाइम (RENE); इसे आण्विक कैंची/चाकू भी कहते हैं।

RENE एक ऐसा एन्जाइम होता है जो DNA को एक निश्चित स्थान से काटने का कार्य करता हैं।

कर्वोत्तक (Ex-plant):- पौधे से अलग किया गया भाग जिसका प्रयोगशाला में पोषक माध्यम में संवर्द्धन करवाया जाता हैं, कर्तोंत्तक कहलाता हैं।

जीवाणुभोजी (Bacterio phase):- यह एक ऐसा विषाणु होता हैं, जो जीवाणुओं को संक्रमित कर देता है या नष्ट कर देता हैं।

जीवाणुभोजी की उपस्थित के कारण ही गंगा नदी का पानी दूषित नहीं होता हैं।

एन्टीजन (Antigen) वह यौगिक जो एन्टीबॉडी निर्माण को प्ररित करता है, एन्टीजन कहलाता है। कैलस (Callus)- (क) घाव युक्त स्थान पर बना घाव उतक। (ख) पादप संवर्द्धन में, अव्यवस्थित ट्यूमर जैसी संरचना का निर्माण होता है जिसे कैलस कहते है।

डी.एन.ए. (DNA)- केन्द्रक में उपस्थित आनुवांशिक पदार्थ जो पीढ़ी दर पीढ़ी लक्षणों के संचरण के नियंत्रण के साथ कोशिका की समस्त क्रियाओं का नियंत्रण करता है, डी.एन.ए, कहलाता है।

पुनःसंयोजी डी.एन.ए. प्रौद्योगिकी (Recombinant DNA techonology)- इसमें वे कृत्रिम विधियां सम्मिलित हैं, जिनके द्वारा पुनः संयोजी डी.एन.ए. का निर्माण किया जाता है। डी.एन.ए. अणु या इसके खण्ड़ों को काटना, एन्जाइमों द्वारा पुनः संयोजी तय करना एवं अन्य जीवों के डी.एन.ए. के साथ संलयन करना आदि क्रियाएँ आती है।

आनुवांशिकी अभियान्त्रिकी (Genetic engineering)- आनुवांशिक हेर फेर (Genetic manipulation)

के द्वारा किसी जीव की वंश परम्परा (hereditary) में उपयोगी परिवर्तन करना।

वाहक (Vector)- वे संरचनाएँ जो डीएनए को एक जीव से दूसरे जीव में स्थानांतरित करती है। क्लोनिंग (Cloning)- वह प्रक्रिया जिसके माध्यम से सम्पूर्ण डी.एन.ए. की या किसी जीन की कई प्रतियाँ बनाई जा सकती है, क्लोनिंग कहलाती है।

इन्टरफेरोन (Interferon)- जब वाइरस, ऊत्तकों पर आक्रमण करते है तो, ऊत्तक एक विशेष प्रकार की प्रोटीन उत्पन्न करते है जो प्रतिविषाणुक कारक (Antiviral agent) है, इसे ही इन्टरफेरोन कहते

निफ जीन (Nif gene) नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने वाले जीन।

लाल जैवप्रौद्योगिकी (Red Biotechnology)- इस जैवप्रौद्योगिकी का उपयोग चिकित्सकीय क्षेत्र में किया जाता है।

हरित जैवप्रौद्योगिकी (Green Biotechnology)- इस जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग कृषि क्षेत्र में किया

जाता है।

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